Friday, 15 June 2007
गर्मी पत्रकारिता
तापमान से सावधान करती गर्मी पत्रकारिता के क्या कहने। मौसम बेईमान और गर्मी मेहमान। जाने का नाम ही नहीं लेती। मुंह ढंके लोग और पेड़ से चिपके लोग। एसी में सुस्ताते जन और मॉल में भटकता मन। बुरा न मानो गर्मी है।टीवी या अखबार सब गर्मी से बेहाल। तापमानों का ग्राफ है तो कहीं लू से मरने वालों की सूची। हर साल आने वाली गर्मी, गर्मी में घूमने वाले पत्रकारों को परेशान करती है। कैमरे गरम हो जाते हैं। स्टीक माइक बमक जाती है। छूने से करंट मारती है। जला देती है। टीवी खोलिये तो तापमान और बढ़ जाता है।अभी तक आपको यही लगता होगा कि कमरे में गर्मी है मगर चंडीगढ़ में तापमान प्रवचन सुनकर दिल्ली के कमरे का भी तापमान बढ़ जाता है। मौसम खबर है। और खबर मौसम की तरह गरम।गर्मी अब ऐसे आती है जैसे पहले आती नहीं थी। ४५ डिग्री तापमान के इस दौर में गर्मी खूब सता रही है। हर कोई गर्मी की चर्चा कर रहा है। डिग्री सेल्सियस थर्मामीटर की तरह घर घर में आम हो गया है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी झूठी फिर भी ज्योतिष के मारे लोगों का भरोसा मजबूत ही होता जा रहा है। आज कैसा तापमान रहेगा? मौसम वाली लड़की क्या कहेगी? अरे सुनो। सर्दी में उसका मेक अप ही देखते रहे कम से कम गर्मी में तो सुन लो। वो क्या कह रही है? क्या पता? आज भी तापप्रेचर यानी टेंपप्रेचर ४६ डिग्री से ऊपर जायेगा क्या? मर गए। गुप्ता जी पानी पीते रहियेगा। पड़ोस वाले शर्मा जी ने हिदायत डे डाली। शर्मा जी को भी गुप्ता जी से रिटर्न अडवाइस मिल गई। भई आप तो आज छुट्टी ले लीजिए। इस गर्मी का कोई भरोसा नहीं।चैनल वाले बताते ही नहीं कि गर्मी कब जाएगी। भूल गए क्या अक्तूबर तक गर्मी होती है। और काटिये पेड़। एसी लगाइये। कार्बन का धुंआ निकालिये। गर्मी की खबरों के बीच पर्यावरण एक्टिविस्ट झुंझला रहा था। उसे लगा कि इस बार तो लोग उसकी बातों को सुनेंगे ही । खतरा आसन्न है। लोग बेचैन। कुछ होगा। नीतियां बनेंगी और नियम से चलेंगे।लेकिन वही ढाक के तीन पात। टीवी दिखाने लगता है मानसून रागा। वाह। बारिश आने वाली है। आर डी बर्मन के गाने बज रहे हैं। बारिश वाले गाने। कहीं बाढ़ से निपटने की तैयारी पर खबर है तो कहीं बारिश के पानी से नाली को बचाने की खबर है। इस बीच गर्मी की खबर आती है। लोग परेशान है। प्यासे हैं। बिजली नहीं है। एसी है। बल्ब नहीं है। लालटेन है। सर्दी नहीं है। गर्मी है।
Posted by ravish kumar at 12:01 AM 5 comments
Sunday, June 10, २००७
साभार : रविश जी / http://naisadak.blogspot.com/search
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