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संवेदनहीनता ( पुरस्कृत कहानी ) - हरीश चंद्र बर्णवाल

Thursday, 26 February 2009

संवेदनहीनता ( पुरस्कृत कहानी ) - हरीश चंद्र बर्णवाल : 24/02/09 बहुत दिनों के बाद मुझे कुछ अच्छा असाइनमेंट मिला था। न्यूज़ रूम के भीतर पोप जॉन पाल द्वितीय पर सभी कहानी लिखने और वीडियो एडिटिंग करवाने की ज़िम्मेदारी मुझे दी गयी थी। दरअसल मैंने ही अपने बॉस को बताया था कि पोप की सेहत लगातार गिर रही है । ऐसा लगता है ज़ल्द ही ये भगवान को प्यारे हो सकते हैं। न्यूज़ चैनल के लिए ये एक बहुत बड़ी ख़बर होगी। ऊँचे तबके के लोगों की इस ख़बर पर पैनी नज़र है। क्यों न पॉप पर कुछ अच्छे पैकेज बनाकर पहले से रखे जायें। कभी इनकी मौत हो गई तो फिर हम दूसरे चैनलों के मुकाबले ......पुरी कहानी मीडिया ख़बर.कॉम पर। लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=29&tid=748

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बालिका बधू ....

Tuesday, 24 February 2009

बालिका बधू अब तक बेहतर डायरेक्शन के हुनर दिखलाता हुआ आगे बढ़ रहा था किंतु २३/१०/२००९ के एपिसोड में झोल आ बरात की बस कच्चे रास्ते पर आ गयी। निदेशन के कच्चेपन ने दर्शकों को एक झटका दे दिया। जिस इलाके से बस चली है, बाराती उसी क्षेत्र के पुराने बाशिंदे हैं। उसी क्षेत्र से सुगना का मंगेतर छुप-छुप कर सुगना से मिलने आता रहा है और जाता भी रहा है। हैरत है की बाराती भटक जाते हैं। बारातें अक्सर देर से पहुँचती हैं। शार्टकट अपनाने का कारण? औरतें बरात में गहने पहने होती हैं, बरात में जेवर चढाये जाते हैं, नकदी भी होती है और लड़कियां व् औरतें भी होती है, फिर अनजाने रास्ते पर बस को लेजाने का क्या मतलब हो सकता है? डायेरेक्टर ने ऐसा रिस्क क्यों लेना चाहा? क्या लेखक बदल दिया गया है? या अनुभवों की सीमायें यहीं तक थीं? इलाके के चप्पे-चप्पे से परिचित लोग किसी अनजान से रास्ता ही नहीं पूछते बल्कि अपनी मजबूरी को भी बयान भी कर देते है, क्यों? ये मूर्खता क्यों? बेहद कमज़ोर कड़ी ने दर्शकों को निराश किया है। अगली कड़ियों में भूलें और होंगी, इस संभावना से इनकार नही किया जा सकता। खतरे आगे आयेंगे।


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मीडिया मंत्र के ब्लाग पर आपका स्वागत है । मीडिया मंत्र मीडिया पर केंद्रित एक मासिक पत्रिका है जिसका मुख्य उद्देश्य मीडिया मे हो रही गतिविधियों पर नज़र रखना और उसकी सूचना लोगो तक पहुँचाना है। इसके अलावा मीडिया को उसका आईना दिखाना मीडिया मंत्र का प्रमुख उद्देश्य है ।

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