
पत्रकारिता की आड़ में मालिको की दलाली करने वाले और श्रमजीवी पत्रकारों को प्रताडित करने वाले मालिकनिष्ठ संपादको की असलियत जाननी हो तो रायपुर में पिछले तीस सालो से सक्रिय पत्रकार गिरीश पंकज के उपन्यास मिठलबरा की आत्मकथा ज़रूर पढ़नी चाहिए। इस उपन्यास का नया संसकरण मिठलबरा शीर्षक से दिल्ली से प्रकाशित हो गया है. ये उपन्यास अब तेलुगु में भी अनूदित हो गया है.
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