संपादको के चेहरे बेनकाब करने वाले उपन्यास मिठलबरा का दूसरा संस्करण प्रकाशित

Sunday, 20 September 2009

पत्रकारिता की आड़ में मालिको की दलाली करने वाले और श्रमजीवी पत्रकारों को प्रताडित करने वाले मालिकनिष्ठ संपादको की असलियत जाननी हो तो रायपुर में पिछले तीस सालो से सक्रिय पत्रकार गिरीश पंकज के उपन्यास मिठलबरा की आत्मकथा ज़रूर पढ़नी चाहिए। इस उपन्यास का नया संसकरण मिठलबरा शीर्षक से दिल्ली से प्रकाशित हो गया है. ये उपन्यास अब तेलुगु में भी अनूदित हो गया है. आगे पढ़ें.....

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