Friday, 15 June 2007
ऐश की शादी में मीडिया बाराती
किसने कहा कि अमिताभ ने अपने इकलौते बेटे की पहली शादी में कम लोगों को बुलाया है ? ग़लत । अमिताभ ने भले ही हज़ारों कार्ड नहीं छपवायें होंगे मगर कई लोग हैं जो समझते हैं कि नहीं बुलाया तो क्या हुआ इतना पुराना संबंध है , उसी की खातिर चलना चाहिए । आखिर मीडिया का अमित जी से कोई आज का संबंध तो है नहीं । कितने इंटरव्यू , उनके संवादों का जाप, उनकी हर अदा पर दिलो जान की बौछार । ऐसा प्रगाढ़ संबंध और अगर न बुलायें तो क्या इसी दम पर सब भुला दिया जाए । नहीं । बिल्कुल नहीं । इसीलिए उनकी शादी में मीडिया वाले जा रहे हैं । वो पता लगा रहे हैं कि ऐश की साड़ी कहां बन रही है, फूल वाला कौन है ? हलवाई, दर्ज़ी, इत्रवाला कहां से आ रहा है ? सब की खोज हो रही है । क्या पता कोई रिपोर्टर हलवाई की टीम में शामिल होकर अमित जी के घर में गाजर कद्दूकस करने लगे और अपने मोबाइल से शादी की तैयारी का एमएमएस भेज दे । तब हो गया न खेल । इसलिए मेरी एक योजना है । हर चैनल कई रिपोर्टरों की टीम तैयार करें । किसी को हलवाई का प्रशिक्षण तो किसी को बैंड बाजे का दें तो किसी को शामियाना सजाने का । बस हर तरफ रिपोर्टर ही रिपोर्टर । फिर देखें कैसे अमिताभ जी इस शादी को गुप्त रख पाते हैं । वैसे भी इस देश में सदियों से भूखमरी, आंधी , पानी की समस्या है । दो चार हफ्ते ब्रेक लेकर ऐश अभिषेक की शादी की खबर देख ही लेंगे तो क्या हो जाएगा । दुखी न हों । योजना बनाएं । शादी में चलने की तैयारी कीजिए । उनके यहां एक ड्राइवर है जिसका भाई बलिया से आया है । उसकी जगह कोई रिपोर्टर नौकरी पर आ जाए और अभिषेक की गाड़ी चलाने लगे । सीधा लाइव फोनो दे दे । देखता हूं कौन सा चैनल नहीं दिखाता है । ये काम कोई फ्री लांस रिपोर्टर भी कर सकता है । बाद में वो अपना फुटेज सबको बेच देगा । रही बात मीडिया और लम्पटीकरण के थ्योरी की तो छोड़ो यार । कोई सुन रहा है क्या । बहस ही करते रहेंगे और पता चलेगा कि अभिषेक का जूता भी खरीद कर आ गया । उसका शाट्स मिस कर गए । हमारे पटना में न्यू मार्केट में ज़्यादातर होनेवाली दुल्हनें खरीदारी के लिए जाया करती हैं । लहंगा । बिंदी । लिपस्टिक के लिए । मेकअप बाक्स । आलता । नए कपड़े । चप्पल । साथ में खरीदारी के लिए पड़ोस की लड़कियां, रिश्ते की बहनें और भाभियां । इतने लोग इसलिए भी जाते हैं क्योंकि पहली बार मां बाप भी लड़कियों को खूब पैसा देते हैं । जाओ बेटी खरीद लेना । यह दस साल पहले की बात है । अब भी होता ही होगा । कहना यह चाहता हूं कि ऐश के पास तो इन सब सामानों की कोई कमी नहीं होगी । मगर खरीदारी तो हो ही रही होगी । हमें दुल्हन के सामानों के होल सेल वालों से पता करना चाहिए कि तुम्हारा माल किस खुदरा व्यापारी से ऐश के घर में जा रहा है । वहां पर कैमरा लगाया जा सकता है । अरे भाई मैं भी खरीदारी में अटक गया । बाराती की बात करने वाला था । अमित जी ने जितने बाराती को नहीं बुलायें हैं उतने हमारे पेशे के लोग जाएंगे । उससे अधिक । हर मोड़ पर एक रिपोर्टर लाइव करेगा । अमर सिंह से भी इंटरव्यू किया जा सकता है कि वो इस शादी के लिए कहां से कपड़े सिलवा रहे हैं । तोहफा क्या देंगे । पिछली बार जो कार दी थी उसी से काम चला लेंगे या नया कुछ देंगे । इस दिन अमर अंकल उपवास पर रहेंगे ताकि शाम को जमकर खा सकें । या फिर खाने के पहले अपनी कार की डिक्की से वो सब निकाल कर दोस्तों के साथ पी लेंगे । फिर नाचने के बाद खायेंगे । अमिताभ जी ने इलाहाबाद से किसी को बुलाया है या नहीं ? इसकी भी खोज होनी चाहिए । वहां से अगर किसी को नहीं बुलाया है तो खबर बन सकती है कि अमिताभ भूल गए अपनी जड़ों को । जिस इलाहाबाद ने उन्हें पिता से लेकर ख्याति तक दी उसे भूल गए । अगर बुलाया है तो जिनको बुलाया है उनका इंटरव्यू चालू । उनके साथ एक रिपोर्टर ट्रेन में सवार हो जाएगा । पुराने रिश्तेदार तो कुछ तोहफे टोकरी, दौरा में लेकर जाएंगे । नारियल, सिंदूरदान, पितर पूजा की सामग्री, आदि आदि । इनका विस्तार से एक वॉक अबाउट हो सकता है । ऐसे तमाम आइडियाज़ है । सबके लिए हैं । तो हो गए न हम अभिषेक ऐश की शादी के बाराती । अरे हां आखिरी सलाह । कहीं पुलिस वाला किसी प्रेस की गाड़ी को प्रतीक्षा बंगले से दो किमी पहले न रोक दे आप अपनी गाड़ी पर प्रेस का लेबल हटा दें । उसकी जगह पीले रंग के कागज पर अभिषेक वेड्स ऐश लिख दें । क्या मजाल जो कोई रोक दे । बाराती पर कोई हाथ लगा सकता है क्या ? चलो भई शुरू करो । छोड़ों हिंदुस्तान की समस्याओं को । इनके रहते किसी के घर परिवार में शादी नहीं होती क्या ?
Posted by ravish kumar at 11:03 AM 12 comments
Friday, April 13, २००७
साभार : रविश जी / http://naisadak.blogspot.com
1 comments:
ooops i can't understand, can you write in english
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