समुदाय से दूर जाता सामुदायिक रेडियो

Tuesday, 12 May 2009

1991 के बाद जैसे ही उदारीकरण के नाम पर बाजार खुला वैसे ही मीडिया भी एक बड़े बाजार में बदला. पिछले एक दशक से अब तक के बदलते परिदृश्यों पर गौर किया जाए तो इसमें एक ‘विरोधाभाषी पहलू’ नजर आता है. एक तरफ मीडिया का बाजार बढ़ने की बातें चलती हैं और दूसरी तरफ गांव में प्रिंट या इलेक्ट्रानिक मीडिया की पहुंच सीमित बनी हुई है. प्रिंट मीडिया के नजरिए से इसका खास कारण अशिक्षा है. आगे मीडिया ख़बर.कॉम पर।

लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=27&tid=996

1 comments:

Bhawna Kukreti 13 May 2009 at 10:22 am  

vaise gaaon me media yaani radio aaj bhi bajata hai aur sun ne waale bhi badhe hain ! sach me !

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मीडिया मंत्र के ब्लाग पर आपका स्वागत है । मीडिया मंत्र मीडिया पर केंद्रित एक मासिक पत्रिका है जिसका मुख्य उद्देश्य मीडिया मे हो रही गतिविधियों पर नज़र रखना और उसकी सूचना लोगो तक पहुँचाना है। इसके अलावा मीडिया को उसका आईना दिखाना मीडिया मंत्र का प्रमुख उद्देश्य है ।

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