समान स्कूल व्यवस्था लागू हो
Wednesday, 18 March 2009
समान स्कूल व्यवस्था लागू हो- शिरीष खरे, बुधवार, 18 मार्च, २००९
‘स्कूल चले हम’ कहते वक्त, अलग-अलग स्कूलो में पल रही गैरबराबरी पर हमारा ध्यान नहीं जाता। एक और जहां क, ख, ग लिखने के लिए ब्लेकबोर्ड तक नही पहुंचे हैं वहीं दूसरी तरफ चंद बच्चे प्राइवेट स्कूलो में मंहगी इमारत, अंग्रेजी माध्यम और शिक्षा की जरूरी व्यवस्थाओ का फायदा उठा रहे हैं. केन्द्रीय कर्मचारियो के बच्चो के लिए केन्द्रीय विद्यालय, सैनिको के बच्चो के लिए सैनिक स्कूल और गांव में मेरिट लिस्ट के बच्चो के लिए नवोदय स्कूल हैं. गरीब परिवार के बच्चो की एक बड़ी संख्या सरकारी स्कूलो में पढ़ाई करती है. जाहिर है, सभी के लिए शिक्षा कई परतो में बँट चुकी है. निजीकरण के सामानांतर यह बटवारा उसी गति से फलफूल रहा है. दिसंबर 2002 को देश के सभी 6-14 साल तक के बच्चो के लिए शिक्षा का मौलिक हक दिया गया. लेकिन एक अनुमान के अनुसार 60 फीसदी बच्चे प्राथमिक शिक्षा से वंचित हैं. पांचवी तक पहुंचने वाले बच्चे दो-चार वाक्य लिख ही पाए, ऐसा जरुरी नहीं. शिक्षा रोजगार से जुड़ा मसला है इसलिए बड़े होकर बहुत से बच्चे आजीविका की लाइन में सबसे पीछे खड़े मिलते हैं. आगे मीडिया ख़बर पर ...लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=30&tid=798
0 comments:
Post a Comment