मीडिया की दख़लंदाज़ी की ज़िम्मेदारी किस पर?
Thursday, 14 June 2007
मीडिया की दख़लंदाज़ी की ज़िम्मेदारी किस पर?
करिश्मा कपूर और उनके पति संजय कपूर के वैवाहिक जीवन की कड़वाहट पिछले कई दिनों से समाचार माध्यमों की सुर्ख़ियों में है.
फ़िल्मी सितारे प्राय: इस बात पर ज़ोर देते देखे गए हैं कि उनके निजी जीवन में मीडिया को दख़लंदाज़ी नहीं करनी चाहिए.
आपकी नज़र में क्या मीडिया इन हस्तियों की ज़िंदगी में बेवजह ताकझाँक करता है या ये सितारे स्वयं अपने निजी मामलों को सार्वजनिक बना कर इस तरह का मौक़ा मुहैया कराते हैं? दोष किसका है?
अपने विचार यहाँ पढ़िए
ये बिल्कुल सस्ती लोकप्रियता है और फ़िल्मी सितारे और मीडिया इससे अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं. किसी को भी किसी की व्यक्तिगत ज़िंदगी में कोई दिलचस्पी नहीं है सिवाय साधारण लोगों के. दरअसल हर कोई बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है. नरिंदर कालिया, टोरंटो, कनाडा
असल में मीडिया फ़िल्मी सितारों की सहायता से ही उनके जीवन में ताक-झाँक करती है और लोग भी इसमें दिलचस्पी लेते हैं. राघवेंद्र सिंह, छतरपुर, मध्य प्रदेश
बेवजह कोई ताक-झाँक नहीं करता है. प्रोत्साहित करने पर ही ये सब संभव है. स्वयं फ़िल्मी सितारे भोली जनता की भावना से खिलवाड़ करना जानते हैं. वे अपनी पहचान बनाने के लिए मीडिया का सहारा लेते हैं. मीडिया को सही में खोज-बीन कर, निष्पक्ष और ज्ञानवर्धक, और जनहित के समाचार प्रसारित करना चाहिए और वे यही कर रहे हैं. हिम्मत सिंह भाटी, जोधपुर, राजस्थान
हमें किसी फ़िल्मी सितारे की निजी ज़िंदगी में दखल नहीं देना चाहिए. रमेश सी नायक, लोहित, आंध्र प्रदेश
क्या मीडिया वालों को कभी पारिवारिक परेशानी नहीं झेलनी पड़ी. लेकिन मीडिया वालों की निजी जिंदगी पर तो मैने कोई ख़बर नहीं देखी. जो वे फ़िल्म स्टार्स के साथ करते हैं वह निंदा के योग्य है. देश की असल समस्याओं पर मीडिया को ध्यान देना चाहिए. क्या किसी स्टार की निजी जिंदगी भ्रष्टाचार की समस्या से ज़्यादा बड़ी है? साजिद हुसैन, झारखंड
कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर मीडिया ध्यान दे सकता है. दरअसल मीडिया व्यवस्था में सुधार करने में सहायता कर सकता है. मीडिया आम लोगों की समस्याओं को सामने ला सकता है. लेकिन दुर्भाग्य से आजकल मीडिया देश के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह नहीं कर पा रहा है. राम, आईआईटी, मुंबई
मीडिया हीरो-हिरोईन के बारे में ऐसी जानकारी इसलिए उपलब्ध कराता है, क्योंकि लोग इसे पढ़ना चाहते हैं. मोहम्मद उमर आज़म, दिल्ली
दोनों ही बातें सही हैं. कई फ़िल्मी हस्तियाँ अपनी लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ाने के लिए निजी ज़िंदगी के कुछ अलिखित पन्ने मीडिया में उछालते हैं और कई बार मीडिया उनकी ग़ैर ज़रूरी चीज़ों को महिमामंडित करता है. शैलेश भारतवासी, मथुरा
मीडिया ने ही तो संसार को एक मुट्ठी में करके रख दिया है. जैसे ही संसार में कहीं भी कोई घटना होती है, हम उसे चंद सेकेंड में देख और सुन लेते हैं. ऐसी अंदरुनी ख़बरों को पहुँचाना ही मीडिया का काम है. कुलवंत सिंह गिल, इटली
फ़िल्मी सितारे ही ऐसी कवरेज़ के लिए ज़िम्मेदार हैं, मीडिया को इसमें संयम बरतने की सलाह क्यों. यालिक जेरांग, अरुणाचल प्रदेश
निश्चित तौर पर दोष मीडिया का है. अगर मान भी लिया जाए कि सितारे अपने निजी मामलों को सार्वजनिक बनाकर मीडिया को मौक़ा देते हैं, तो भी ये तो मीडिया की ही ज़िम्मेदारी है कि कौन सी ख़बर को प्रमुखता दी जाए. सितारे अपनी निजी ज़िंदगी को सार्वजनिक बना सकते हैं, लेकिन उसे ख़बर बनाया जाए या नहीं, ये तो मीडिया को ही निर्धारित करना है. प्रभात पाण्डेय, जबलपुर
मेरा मानना है कि मीडिया सितारों, पूँजीवादियों और बड़े लोगों के जीवन में झाँकने की कोशिश करता है. मैं इसे मानता हूँ कि मीडिया को कई बातें बतानी होती है लेकिन एक सीमा के अंदर ही. अगर मीडिया निजी मामलों को सार्वजनिक करना चाहता है तो उसे पहले उस व्यक्ति से ज़रूर पूछ लेना चाहिए. मोहम्मद युनूस, कुवैत
मैं मानता हूँ कि कोई भी व्यक्ति ये नहीं चाहता कि कोई उसकी निजी ज़िंदगी में झाँके. प्रियंका मोहिनी, हैदराबाद
मीडिया नैतिक नियमों का पालन करता हुआ नज़र नहीं आता. फ़िल्मी सितारे भला अपनी निजी ज़िंदगी में ताक-झाँक करने के लिए मीडिया को क्यों बढ़ावा देंगे. पीटर प्रकाश, ऑस्ट्रेलिया
जो बिकता है वो छपता है. लोग हर मशहूर हस्ती के बारे में जानना चाहते हैं फिर चाहे वो करिश्मा हो या अंबानी. ज़्यादातर वही छपता है जो लोग पढ़ना चाहते हैं और चटपटी ख़बरें तो हर कोई बड़े चटख़ारे लेकर पढ़ता है. जिज्ञासा, न्यूज़ीलैंड
क्या मीडिया वालों को कभी पारिवारिक परेशानी नहीं झेलनी पड़ी. लेकिन मीडिया वालों की निजी जिंदगी पर तो मैने कोई ख़बर नहीं देखी. नरेंद्र, दिल्ली
यह बात सच है कि ये फ़िल्मी सितारे अपनी ज़िंदगी में मीडिया को दख़लंदाज़ी का मौक़ा देते हैं. फिर मीडिया उसमें कुछ और नमक मिर्च मिला कर लोगों तक उनकी बात को परोसते हैं. अजित पाँडे, नोयडा
दरअसल मेरा यह मानना है कि मीडिया और फ़िल्म दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों को एक दूसरे की ज़रूरत है. विकास कुमार राव, भोपाल
मीडिया में काम करने वाले भी आम लोगों से अलग तो नहीं हैं. इस क्षेत्र में आने वाले नए लोगों में से कई इस बात को नहीं समझते कि उन्हें किसी बात को भी पाठकों तक पहुँचाने से पहले गहरी छानबीन, अध्ययन और विशेषज्ञता की ज़रूरत है. अनिल प्रकाश पाँडे, शारजाह
दुनिया भर के लोग रुपहले परदे पर चमकने वाले सितारों के बारे में जानना चाहते हैं. मीडिया अगर ये ख़बरें उन तक पहुँचाता है तो कोई हर्ज नहीं है. मीडिया को भी तो अपने पाठकों को संतुष्ट करना है. विनोद पाठक, ग़ाज़ियाबाद
निश्चित तौर पर कहीं न कहीं ये कलाकार ख़ुद ही जिम्मेदार हैं. मीडिया को भी इस तरह की ख़बरों से बचना चाहिए. आज के समय 24 घंटे के समाचार से लोगों को बाँधे रखने के लिए मीडिया को मसाला चाहिए और ये मीडिया की मजबूरी है. प्रमोद पाँडे, नौएडा
क्या मीडिया वालों को कभी पारिवारिक परेशानी नहीं झेलनी पड़ी. लेकिन मीडिया वालों की निजी जिंदगी पर तो मैने कोई ख़बर नहीं देखी. जो वे फ़िल्म स्टार्स के साथ करते हैं वह निंदा के योग्य है. देश की असल समस्याओं पर मीडिया को ध्यान देना चाहिए. क्या किसी स्टार की निजी जिंदगी भ्रष्टाचार की समस्या से ज़्यादा बड़ी है? राम शब्द, बंगलौर
मीडिया को अपनी सीमाएँ ख़ुद तय करनी चाहिए. मीडिया को किसी की निजी ज़िंदगी में दख़ल देने का अधिकार नहीं. यदि क़ाबिलियत है तो मीडिया दिलचस्प ख़बरें दे, चुग़ली नहीं. नीतू सिंह, दिल्ली
सब शोहरत का कमाल है. ये लोग मीडिया में बातों को जानबूझकर लाते हैं ताकि लोगों में उनकी याद ताज़ा रहे और उनके सितारे बुलंद रहें. ये सितारों से बेहतर कौन जानता है? अमरीश कुमार शिशिर, बिहार
मीडिया को दोषी ठहराना फ़िल्मी सितारों का आपत्तिजनक व्यवहार है. यह ऐसा है जैसे आप किसी मकान की ऊपरी मंज़िल पर रहते हों और इसके लिए सीढ़ियों को दोष देते हों. सितारों को अपनी सामाजिक और नैतिक ज़िम्मेदारी भी समझनी चाहिए. क्योंकि वे लोगों के दिलों से जुड़े होते हैं. भारत जैसे देश में जहाँ लोग फ़िल्मी सितारों की पूजा करते हैं, वैसे देश में फ़िल्मी सितारों को लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का कोई अधिकार नहीं है. क्योंकि लोगों ने ही उन्हें स्टार बनाया है. पीयूष कुमार सिन्हा, मोतिहारी, भारत
ये मीडिया और लोगों की मानसिकता से साथ जुड़ी समस्या है. लोग अपना ध्यान अपनी समस्याओं से हटाना चाहते हैं तो मीडिया अपने लाभ के लिए ऐसे मसालेदार ख़बर उपलब्ध कराता है. भावेश गौर, सिंगापुर
फ़िल्मी सितारे अपने आप को लोगों को दिखाने के लिए मीडिया में आते हैं. शादाब, रूड़की
मैं इसकी आलोचना करता हूँ. इन दिनों कई न्यूज़ चैनल 24 घंटे चलते हैं. अपने चैनल को रोचक बनाने के लिए वे ऐसा करते रहते हैं. इसी कारण फ़िल्म स्टार, क्रिकेटर, राजनेता मीडिया के लिए गर्व का विषय बन गए हैं. मीडिया को ये समझना चाहिए कि उनकी भी एक निजी ज़िंदगी है. साजिद, जामिया नगर, ओखला, नई दिल्ली
मीडिया और फ़िल्म इंडस्ट्री- एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. मीडिया की सहायता के बिना फ़िल्म इंड्रस्ट्री नहीं चल सकती. मोहम्मद आसिफ़, राजस्थान
सितारों की ज़िंदगी की एक कड़वी सच्चाई भी है जो चमक-दमक के पीछे छिपी है. अंजू रानी, द्वारका, दिल्ली
यूं तो मीडिया को किसी के निजी जिंदगी में तांक-झांक की अनुमति नहीं होनी चाहिए. अगर मीडिया ऐसा करती है तो मेरी समझ से अधिकतर मामलों में कहीं-न-कहीं सितारों ने ही उन्हें बढ़ावा दिया होता है. कई बार तो सितारे अपने अंडरवियर-बनियान के ब्रांड तक मीडिया को बताते दिखे हैं. तब उन्हें समस्या नहीं होती क्योंके तब तो उन्हें प्रचार मिल रहा होता है लेकिन यही प्रचार जब उनके लिए परेशानी का सबब बनता है तब निजी ज़िंदगी की दुहाई दी जाने लगती है. शशि सिंह, मुम्बई
हर फ़िल्मी सितारा हमेशा चाहता है कि वह अख़बारों और टीवी चैनलों की सुर्ख़ियों में रहे इसके लिए वे एक-दूसरे पर आरोप लगाने से लेकर सड़कों पर झाड़ू लगाने तक से बाज़ नहीं आते. लेकिन मीडिया को भी अपनी सीमाएँ नहीं भूलनी चाहिए उसे भी बेवजह के स्टिंग ऑपरेशनों और बेडरूम में झाँकने से बाज़ आना चाहिए. कुमार अरविंद मिश्रा, नई दिल्ली
फ़िल्मी सितारों को प्रसिद्धि और लोकप्रियता चाहिए तो दूसरी ओर मीडिया को कुछ मसाला चाहिए होता है. फ़हीम रज़ा नक़वी, न्यूयॉर्क, अमरीका
ताली एक हाथ से नहीं बजती है. सितारों को चाहिए मीडिया-प्रचार और मीडिया को चाहिए मसालेदार हेडलाइन्स. दोनों के मेलजोल से ही तो शो बिज़ चलता है. राजेश, यमातो, जापान
ये सब तो मीडिया की रोज़ी-रोटी है. फिर मीडिया को बढ़ावा कौन देता है. रवि डुडेजा, शिकागो
जी हाँ. बहुत से सितारे ख़ुद ही मीडिया को अपनी निजी ज़िंदगी में झाँकने के लिए न्यौता देते हैं लेकिन मीडिया का यह कर्तव्य है कि वह सितारों की निजी ज़िंदगी से दूर रहे. डॉक्टर दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, जयपुर, राजस्थान
जब मामला ताज़ा होता है तब इस पर सितारे कुछ विरोध क्यों नहीं करते. मीडिया को तो ख़बरें चाहिए. सितारे अगर ख़ुद मौक़ा देते हैं तो कोई मौक़ा क्यों गँवाएगा. नवीन तिवारी, दिल्ली
हम मशहूर हस्तियों को ही ऐसा मौक़ा मुहैया कराने का ज़िम्मेदार ठहरा सकते हैं लेकिन मीडिया को भी ख़ुद पर क़ाबू रखना चाहिए. मीडिया सामाजिक समस्याओं पर तो पर्याप्त ध्यान नहीं देता और ऐसी बातों को ज़्यादा महत्व देता है जिन्हें नहीं देना चाहिए. राजकुमार, अमरीका
निश्चित रूप से यह मीडिया की ग़लती है. अगर ऐसी ही बात किसी और के साथ हो तो मीडिया ध्यान भी नहीं देता. लेकिन चूँकि यह मशहूर हस्तियों से संबंधित है और यह आम लोगों में बिकता है तो मीडिया उनके निजी जीवन की बारीक से बारीक विवरण देता है. अजीत सिंह सचान
मुझे लगता है कि मीडिया को कुछ न कुछ मसाला चाहिए. अनु, न्यूयॉर्क
ये सितारे अपनी मर्ज़ी से मीडिया को अपनी ज़िंदगी में दाख़िल करते हैं. अंशु, कनाडा
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