बुरा मानों या भला : हे देवियों, जरा बापू को याद करो > खुशवंत सिंह को हो क्या गया है।
Sunday, 19 April 2009
शनिवार को मैं दैनिक हिंदुस्तान अख़बार पढ़ रहा था। उसमें खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। आगे मीडिया ख़बर.कॉम पर। लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=34&tid=930
1 comments:
आज खुशवंत जी की
खुशहाली का राज
जाहिर-ए-जग हो गया।
पर उस जग में
जो जो भरा है
उसका छींटा न जाने
कहां कहां पर पड़ा है
और पड़ता रहेगा।
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