मीडिया मंत्र का नया कालम : महीने का ब्लाग - रिजेक्ट माल
Friday, 4 April 2008
सवाल - रिजेक्ट माल यह नाम आपके जेहन में कैसे आया ?
जवाब- रिजेक्ट माल को एक कम्युनिटी ब्लॉग के तौर पर विकसित करने की योजना है। एक ऐसा ब्लॉग जिसे कई लोग मिलकर चलाएंगे। इस ब्लॉग का सूत्र वाक्य है -ये मंच उन सबका है जो कुछ लिखना, रचना और उसे लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। लेकिन कोई कहता है स्टैंडर्ड ठीक नहीं है तो कोई पॉलिसी की बात करता है, तो कोई किसी और तरह का बहाना बनाता है। ऐसी तमाम रचनाओं का यहां स्वागत है। रिजेक्ट माल नाम इसी सोच का नतीजा है।
सवाल -कब आपने इसे बनाया ?
इसे 2007 में आर अनुराधा, प्रणव प्रियदर्शी और मैंने मिलकर बनाया। इसका डिजाइन पत्रकार राहुल पांडे का है जो खुद एक ब्लॉगर और पत्रकार हैं। उनके ब्लॉग का नाम है बजार।
सवाल - अभी इसके कितने पाठक हैं ?
जवाब- इस ब्लॉग पर अब तक लगभग पांच हजार विजिट दर्ज हैं और पेज व्यू हैं लगभग 9000। लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि हिंदी ब्लॉग के पाठक आम तौर पर ब्लॉगर ही हैं और हिंदी में ब्लॉगर्स की संख्या 2000 के आस पास है। इसका सीधा मतलब है कि एक ही आदमी बार बार किसी ब्लॉग पर जाता है।
सवाल - अमूमन कितने लोग एक दिन में आपके ब्लाग को विजिट करते हैं ?
जवाब - एक दिन का एवरेज विजिट है 60 और औसत पेज व्यू है 100।
सवाल - नारद जो एक ब्लाग एग्रीगेटर है उसमे आपके ब्लाग को कितनी रेटिंग मिली है और आपको क्या लगता है की न्यूज़ चैनल की टी आर पी पॉइंट की तरह से ब्लाग की रेटिंग करना ब्लाग के लिए उचित है ?
जवाब- नारद पर मैं कभी गया नहीं इसलिए इसका अंदाजा नहीं है। ब्लॉग की रेटिंग तो उसके पाठक करते हैं। कितने पाठक, कैसे पाठक, कितनी और कैसी टिप्पणियां - ये है ब्लॉग का गणित।
सवाल - आपके ब्लाग पर किस तरह के विषय होते हैं ?
जवाब - विषय का कोई बंधन नहीं है। कविता, कहानी, निजी अनुभव से लेकर धीर-गंभीर लेख तक। हम तो इसमें रेसिपी और बच्चों के चित्र तक डालना चाहते हैं।
सवाल - जो मन में आए वो लिख दिया जाए या कोई खास रणनीति और सोच - विचार के बाद लिखते हैं ?
जवाब- ब्लॉग एक मायने में मुक्त माध्यम है। अभी इससे धन आने की शुरुआत नहीं हुई है, इसलिए कोई स्ट्रटेजी बनाकर काम नहीं करते हैं। जो मन में आता है, जो जरूरी लगता है, जो लिखे बिना रहा नहीं जाता, वो सब आप इस ब्लॉग पर देखते हैं।
सवाल - रिजेक्ट माल ब्लाग जगत में बहुत कम समय में काफी लोकप्रिय हो गया है . क्या कारण आप मानते हैं ?
जवाब- ये ब्लॉग अभी पॉपुलर नहीं है। इस पर काम कर पाने के लिए मोहलत कई बार नहीं मिलती। ब्लॉग को लोकप्रिय बनाने के टिप्स और ट्रिक्स का अभी हमने इस्तेमाल भी नहीं किया है।
सवाल - आपने ब्लागिंग की शुरुवात कैसे और कब की ?
जवाब- मोहल्ला नाम के एक लोकप्रिय ब्लॉग में लिखने की वजह से ब्लॉगिग की दुनिया से परिचय हुआ। वहां टीवी पत्रकारिता पर मेरी छेड़ी एक बहस शायद हिंदी ब्लॉग की सबसे बड़ी बहस साबित हुई। उसके बाद मजा आने लगा। फिर जरूरत महसूस होने लगी। आपसी बातचीत के बाद एक मंच बना लिया। एक पैसा भी खर्च नहीं होना था, इसलिए सोचने की जरूरत भी नहीं पड़ी।
सवाल - हिन्दी और अंग्रेज़ी के ब्लाग में आपको क्या कोई अन्तर नज़र आता है ? क्या हिन्दी के ब्लाग और उसके पाठक अंग्रेज़ी के ब्लाग की तुलना में पीछे हैं ?
जवाब- मुख्य अंतर तो माध्यम का है और वॉल्यूम का है। अंग्रेजी में कंप्यूटर पर काम करने वाले करोड़ों में है। हिंदी में तो अभी ढंग से शुरुआत भी नहीं हुई है। अरसे तक फोंट की समस्या रही। युनिकोड के आने से हालात बेहतर हुए हैं। हिंदी में ब्लॉग एक माध्यम के रूप में पहला कदम रखने की तैयारी कर रहा है। इसकी तुलना एक वयस्क हो चुके माध्यम के साथ करना अन्याय होगा। लेकिन हिंदी में कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ रहा है और हिंदी ब्लॉगिंग में भी एक बड़े विस्फोट की कल्पना हम कर सकते हैं.
सवाल - हिन्दी ब्लाग पर जो सामग्री होती है वह कितनी स्तरीय होती है ?
जवाब- सामग्री में विविधता अभी कम है। खास मकसद से बनाए गए ब्लॉग भी कम हैं। इसलिए बंधे हुए पाठकों का अभाव है। स्तरीय होना अभी हिंदी ब्लॉग की बड़ी समस्या नहीं है। अभी तो जरूरत इस बात की है कि बड़ी संख्या में ब्लॉग खुलें। ज्यादा से ज्यादा लोग हिंदी में कंप्यूटर का इस्तेमाल शुरू करें। नए पाठक जुडें। ब्लॉग में स्तरीय और स्तरहीन दोनों के लिए जगह है, होनी चाहिए। शुद्धतावाद का यहां कोई काम नहीं है।
सवाल - कौन से आपके पसंदीदा ब्लाग हैं ?
जवाब- मोहल्ला, कबाड़खाना और इयत्ता का तो मैं सदस्य हूं। चोखेर बाली, हाशिया, टूटी बिखरी हुई सी, चोखेर बाली, पहलू, शब्दों का सफर, बेदखल की डायरी, चवन्नी छाप, विस्फोट, ढाई आखर, कॉफी हाउस उन ब्लॉग में है, जिन्हें मैं अक्सर देखता हूं।
सवाल - अगले दो सालों में आप अपने ब्लाग को किस स्वरुप में देखना चाहेंगे ?
जवाब- हिंदी के 20,000 ब्लॉग और कई लाख पाठक। ये है मेरा ख्वाब। और ये कोरा ख्वाब नहीं है। जिस तेजी से ब्लॉग की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए हो सकता है कि 2008 के आंत में इस आंकड़े में संशोधन करना पड़े।
सवाल - रिजेक्ट माल की थीम को लेकर आपके दो शब्द ....
जवाब- रिजेक्ट माल एक असफल ब्लॉग है। हम इस ब्लॉग को जो बनाना चाहते थे, वो बन नहीं सका है। लेकिन शुरुआती अभ्यास के लिहाज से ये अनुभव बुरा नहीं है।
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